शनिवार, 13 जनवरी 2024

प्राची का रँग लाल ● [ गीत ]

 016/2024

  

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●© शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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घना कोहरा

मौन विटप सब

प्राची का रँग लाल।


झाँक रहे हैं

सूर्य देवता 

चादर  ओढ़  सफेद।

फैलाते हैं

सजल रश्मियाँ

तनिक न करते भेद।।


उषा सुनहरी

मुख चमकाए

ठंडे -  ठंडे   गाल।


दृश्य मनोहर

तरु लतिका का

पौष  मास की देह।

छूने में वह 

लगती शीतल

नम धरती पर रेह।।


सन्नाटा- सा 

पसरा  बाहर

अंबर हुआ गुलाल।


आग जलाकर

कोई तापे

कोई ओढ़े शॉल।

कंबल का ले

संबल कोई

खेल रहा है बॉल।।


अगियाने को

घेर बैठते

बना आँच की ढाल।


●शुभमस्तु !


09.01.2024●9.15आ०मा०

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