018/2024
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●© शब्दकार
● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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राम की सजी
अयोध्या आज
सजे बहु वंदनवार।
तोरण अवनी
अंबर सरयू
सज्जित हैं चहुँ ओर।
आदि नहीं है
अंत नहीं है
दिखे न कोई छोर।।
सभी प्रेम से
जुटे हुए हैं
सजा रहे सब द्वार।
सुमन महकते
उपहारों में
बरस रहा ज्यों मेह।
हर्ष प्रफुल्लित
नाच रहे जन
रोमांचित हर देह।।
तरुणी बाला
मुदित नाचतीं
हाथ धरे उपहार।
सरयू में है
कलरव भारी
मछली भरें उछाल।
नाव खिवैया
अब आएँगे
होगा नया कमाल।।
व्यंजन महकें
यहाँ वहाँ बहु
सभी दिशाएँ चार।
● शुभमस्तु !
09.01.2024●10.30 आ०मा०
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