शनिवार, 13 जनवरी 2024

रामनीति ही चाहिए ● [दोहा-गीतिका]

 013/2024

 

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●© शब्दकार

● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

नर-नारी  सुख  दुःखमय,विविध रूप  संसार।

राम   सदा   रक्षा  करें,   बरसे  प्रेम    अपार।।


पुरी  अयोध्या   धाम  में,बरसे भक्ति - पीयूष,

सरयू की कल-कल  बहे, अमृतवत जलधार।


सबके ही श्रीराम हैं,कण-कण सदा निवास,

राजनीति   दूषित   करे, अपना  करे   प्रचार।


समदर्शी  प्रभु  राम  हैं, सबके हृदय   निवास,

जातिभेद  उनमें   नहीं,बरसे सबको    प्यार।


रामनीति   ही  चाहिए, वही  राम का   राज,

मनमानी  करते    यहाँ,  नेता गण अतिचार।


शबरी,  केवट, गीध  को,  गले लगाते  राम,

पवन  पुत्र  हनुमान  को, सीता करें   दुलार।


'शुभम्'  मुखौटा  में छिपे, रावण क्रूर  अनेक,

दंड   उन्हें   कैसे  मिले,करना  यही  विचार।


●शुभमस्तु !


08.01.2024 ●9.15आ०मा०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...