007/2024
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●© शब्दकार
● डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मुखौटों से
देश नहीं चलता,
पता लग ही जाता है
यदि कोई हमें छलता।
रामनीति का मुखौटा
अंदर कुछ और,
दूरगामी परिणाम पर
कीजिए तो गौर,
सबको सबकी जरूरत
जनता ही सिरमौर।
झूठे नारे
झूठे सब वादे,
लगते नहीं हैं
नेक भी इरादे!
भीतर लकदक
बाहर से सादे।
आदर्शों की चादर
उसके नीचे
अपनी बिरादर,
भाषण में
माताओ बहनो!
ब्रदर! सादर।
मुखौटे पहचानें
उन्हें अपना न जानें
धोखे का लबादा,
नेक नहीं लगता
इनका इरादा,
रामनीति की बातें
कूटनीति की घातें,
दिन को कहलवाएँ रातें।
●शुभमस्तु !
04.01.2024●6.45प०मा०
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