शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

नववर्षाभिनंदन ● [ दोहा ]

 005/2024

             

[नया साल,नव वर्ष,शुभकामना,दो हजार चौबीस,अभिनंदन]

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

●© शब्दकार

● डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'

●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

                ●  सब में एक  ●

नया साल सबके   लिए,हो शुभकारी    नित्य।

जग में विमल प्रकाश से,चमके शुभ  आदित्य।।

नया साल लाया सभी,खुशियाँ  प्रगति  अपार।

शांति जगत में हो सदा,खुलें सुमति   के  द्वार।।


पौष  माह का  शीत  है ,आया   है    नव वर्ष।

जन-जन को  अति हर्ष है,आशामय  उत्कर्ष।।

सभी   मनुज नव वर्ष में, त्याग परस्पर  बैर।

वसुधा  ही  परिवार  हो,  कहें न कोई    गैर।।


करते   हम शुभकामना,  करे मनुज सत्कर्म। 

आपाधापी    दूर   हो,   सभी  निभाएँ   धर्म।।

जो   करता  शुभकामना,बसते उर  में  ईश।

उर में  प्रभु  का  वास  है, कृपा करें जगदीश।।


दो हजार चौबीस  के,  नए   वर्ष   का   भोर।

जन-जन को हित लाभ दे,हो उत्कर्ष-अँजोर।।

वर्ष  शुभद  है  देश  का , दो हजार  चौबीस।

रामालय  में  आ   रहे,  राम  मिटा उर - टीस।।


अभिनंदन  नव   वर्ष   का, करते     बारंबार।

खुशियों का  अंबार हो,खुलें  प्रगति  नव  द्वार।।

मन  से अभिनंदन  करें, जो आए  तव   द्वार।

उर   में    हो  अनुराग   का, सागर  अपरंपार।।


                ●  एक में सब  ●

दो हजार चौबीस का,अभिनन्दन शत बार।

नया साल नववर्ष की, शुभकामना अपार।।


● शुभमस्तु !


03.01.2024● 7.00 !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...