शुक्रवार, 5 अगस्त 2022

अंत भला तो सब भला 🪦 [ दोहा ]

 311/2022

 

[आरम्भ, प्रारब्ध,आदि,अंत,मध्य]

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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        ☘️ सब में एक  ☘️

देर नहीं  पल  की  करें,  करने में   आरंभ।

करना हो शुभ काम तो,पालें मत मति-दंभ।।

करता है आरंभ जो,सही समय पर  काम।

मिलें शांति,सुख,हर्ष की,भेंटें सुखद विराम।।


लिखा हुआ प्रारब्ध में, उसका है परिणाम।

वर्तमान में जो मिला,है भविष्य   के  नाम।।

सबका निज प्रारब्ध है,हर मानव के साथ।

योनि  बदलती देह की,रहता कर नत माथ।।


आदि भला तो अंत भी, देगा शुभ परिणाम।

लगन परिश्रम से किया,यदि कर्ता ने काम।।

आदि देव का ध्यान कर,करता जो आरंभ।

चरण  चूमतीं  प्राप्तियाँ,ढहते बाधक खंभ।।


क्या  चिंता है अंत  की,शुभम हो श्रीगणेश।

सुखद मिले फल आपको,रहते साथ महेश।।

अंत भला तो सब भला,सफल कर्म परिणाम

उसकी जय जयकार हो,करता जग में नाम।


जीवन का  मध्याह्न  है,तप्त भानु   की  धूप।

मध्य जिसे कहते सभी,नित्य बदलती रूप।।

जा पहुँचा जो मध्य में, बढ़ना ही  पथ ठीक।

सोच लौटने की न हो,मिले तभी फल नीक।।


      ☘️ एक में सब ☘️

कर्म  जीव- प्रारब्ध का,

                      यदि  पावन आरंभ।

आदि,मध्य शुभ अंत हो,

                     साथ  न   देगा दंभ।।


🪴 शुभमस्तु !


०३.०८.२०२२◆७.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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