सोमवार, 15 अगस्त 2022

घर मुंडेर तिरंगा 🇮🇳 [ गीत ]

 329/2022

  

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✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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पानी की टंकी पर  फहरे,

घर  मुंडेर  तिरंगा।


बीते साल पचहत्तर अमृत-

उत्सव  का दिन आया,

ट्रैक्टर,कार, सभी बाइकों पर,

झंडा फर - फर भाया,

रेशम,  सूती,  खादी,

नित हो रही  मुनादी,

देशभक्ति में रंगा।


नन्हे - मुन्ने  विद्यालय  के,

झंडे  लिए  गली में,

देशभक्ति  के गीत गा रहे,

सजे हुए तितली में,

मातृभूमि  जय गाते,

माँ को शीश  नवाते,

तन - मन से हैं चंगा।


रँग हरित श्वेत है केसरिया,

पहने   बाला   नारी,

सभी दुकानें सजीं पताका,

संस्था सब सरकारी,

सबकी   है     तैयारी,

आजादी अति प्यारी,

उचित नहीं  है   दंगा।


आजादी की  मिली धरोहर,

बाद   जन्मने    वाले,

रखना इसे सँभाल शुभंकर,

करना 'शुभम्' निराले,

अन्न  देश  का  खाया,

रहना ध्वज की छाया,

जब  तक  यमुना गंगा।


🪴 शुभमस्तु ! 


१५.०८.२०२२◆६.४५ पतनम  मार्तण्डस्य।


🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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