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✍️ शब्दकार ©
🏞️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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पावन गंगा-धार की,महिमा है ऋषिकेश।
लक्ष्मण-झूला सोहता,निर्मित रम्य स्वदेश।।
निर्मल गंगाजल बहे,दृश्य प्रकृति के रम्य।
तन-मन को शीतल करे,गंगा सदा प्रणम्य।।
एक ओर गंगा नदी,उधर हरित शुभ शृंग।
विद्युत के खंभे सजे,देख हुए हम दंग।।
मंदिर गंगा-घाट पर, होता शंख-निनाद।
सुनी कर्ण में भक्ति ध्वनि,विनशे हृदय विषाद
स्वच्छ रखें गंगा नदी,अंकित बहु निर्देश।
झगड़ा हँसी न कीजिए,नहीं घाट पर क्लेश।।
कृषि-सिंचन करती रही,नित गंगा की धार।
करते जो आराधना, होते भव से पार।।
लक्ष्मण झूले पर सजी,जाली खूब सँभाल।
ध्वजा तिरंगा सेतु की, सबल सुरक्षा ढाल।।
🪴 शुभमस्तु !
३०.०८.२०२२◆९.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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