35/2022
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🪷समांत : अता ।
🪷पदांत: तू।
🪷मात्राभार : 16.
🪷 मात्रापतन: शून्य।
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✍️शब्दकार ©
🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम् '
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करने से पहले न जता तू।
नहीं किसी को बात बता तू।।
गोपनीय रख जो करना हो।
नहीं जगत को बता पता तू।।
खोले नहीं रहस्य शोध का ।
अपने प्रति करना न खता तू।।
अज्ञानी प्रचाररत रहते।
फैलाना मत कहीं लता तू।।
गठरी बाँध राह में जाए।
लुटवाना मत मालमता तू।।
चाहे तू यदि शांति परम् सुख।
नहीं जीव को कभी सता तू।।
सदा'शुभम' पथ ही अपनाना।
दुष्कर्मों को बता धता तू।।
🪴 शुभमस्तु !
२२.०८.२०२२◆ ४.१५आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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