सोमवार, 1 अगस्त 2022

गहन हैं चरित मनुज के 🪦 [सजल]

 307/2022

 

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समांत:आह।

पदांत:मनुज को।

मात्राभार :16.

मात्रा पतन:शून्य।

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मिले  वाह  ही  वाह   मनुज को।

खुले  प्रगति  की  राह मनुज को।।


कभी    कुपथ   पर  चले  न कोई।

करते   गुरु   आगाह   मनुज को।।


कर्म - फलों    से  कौन   बचा है!

करे   बुरा   पथ   स्वाह  मनुज को।।


नहीं     सताना    तुम    गरीब को।

बद,  गरीब  की   आह  मनुज को।।


सबकी    करनी   साथ   उसी के।

नहीं   चाहिए     डाह    मनुज को।।


निज   श्रम    की  रोटी    सुख  देती।

पर - धन   की क्यों चाह मनुज  को।।


'शुभम्'     गहन    हैं     चरित तुम्हारे।

खोजे    मिले    न  थाह  मनुज  को।


🪴शुभमस्तु!


३१.०७.२०२२◆११.००पतनम मार्तण्डस्य।


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