352/2022
[व्रत,उपवास,फल,निर्जल,मौन]
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✍️ शब्दकार ©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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🌷 सब में एक 🌷
व्रत सेवा का ले लिया,हिंदी माँ के बोल।
काव्य-सृजन करले 'शुभं',हिंदी है अनमोल।
दृढ़ व्रत ऐसा लीजिए, पालन कर आचार।
नियम भंग करना नहीं,खुलें प्रगति के द्वार।।
उमापुत्र गणनाथ का,जन्म हुआ बुधवार।
भक्त करें उपवास भी,कर पूजन उपचार।।
मन को अपने इष्ट के, रख चरणों के पास।
कहते हैं विद्वान सब,यही सत्य उपवास।।
सत्कर्मों का फल सदा,होता है शुभ नित्य।
सोच-समझकर ही करें,आजीवन नित कृत्य
फल आने पर पेड़ की,नत होती हैं डाल।
मूढ़ मनुज क्यों तन रहा, मारे उच्च उछाल।।
निर्जल व्रत यदि है किया,लगा इष्ट में ध्यान।
कहीं भूलवश जान लें,करें नहीं जल-पान।।
निर्जल होना देह का,उचित नहीं है मीत।
कैसे तन नीरोग हो,यदि न शेष जल-तीत।
कटुक वचन से मौन ही,सदा श्रेष्ठ है मित्र।
मधु -वाणी से ख्यात हो,नर का चारु चरित्र।।
मितभाषी रहता सुखी,उचित यही धर मौन।
पहले वाणी तौलिए, बुरा बताए कौन!!
🌷 एक में सब 🌷
निर्जल व्रत उपवास का,
फल न जानता कौन?
बोल न वाणी बाण-सी,
उचित 'शुभम्' रह मौन।।
🪴 शुभमस्तु !
३१.०८.२०२२◆५.१५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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