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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मानें तो दुनिया बगिया है,
जिसने जीवन सुखद जिया है।।
जीवन का आनंद न जाने,
आँसू जन को सदा दिया है।।
मानव को सुख शांति तभी है,
किसी फटे को कभी सिया है।।
दुख देकर किसने सुख पाया,
सुखी वही जो अश्रु पिया है।।
बचा न कोई निज कर्मों से,
फल वैसा जो कर्म किया है।।
स्वर्ग उसी घर में होता है,
सन्नारी सर्वांग तिया है।।
'शुभम्' भाव मन के पावन रख,
नर , निधि में मिलती नदिया है।।
🪴 शुभमस्तु !
२९.०८.२०२२◆६.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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