सोमवार, 29 अगस्त 2022

दुनिया बगिया है! 🪂 [ गीतिका ]

 347/2022


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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मानें       तो       दुनिया   बगिया     है,

जिसने      जीवन     सुखद जिया   है।।


जीवन       का        आनंद     न   जाने,

आँसू    जन    को       सदा  दिया   है।।


मानव     को   सुख     शांति  तभी   है,

किसी   फटे     को    कभी सिया    है।।


दुख     देकर      किसने   सुख   पाया,

सुखी    वही      जो     अश्रु   पिया   है।।


बचा    न      कोई      निज   कर्मों    से,

फल    वैसा        जो    कर्म किया    है।।


स्वर्ग         उसी      घर    में   होता    है,

सन्नारी           सर्वांग        तिया       है।।


'शुभम्'    भाव    मन      के पावन   रख,

नर ,  निधि      में     मिलती  नदिया   है।।


🪴 शुभमस्तु !


२९.०८.२०२२◆६.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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