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✍️ शब्दकार ©
🦜 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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तोते जैसे हम उड़ पाते।
बैठ डाल आनंद मनाते।।
पकड़ न कोई हमको पाता।
धरती पर बैठा खिसियाता।।
पके आम के फल हम खाते।
तोते जैसे हम उड़ पाते।।
घर होते पेड़ों पर अपने।
शाला में क्यों जाते पढ़ने??
विद्यालय ऊपर बनवाते।
तोते जैसे हम उड़ पाते।।
शिक्षक भी फिर पक्षी होते।
कान ऐंठते नहीं , न रोते।।
पंजे से डैने नुचवाते।
तोते जैसे हम उड़ पाते।।
रहती उड़ने की आजादी।
उड़तीं छत पर अम्मा दादी।।
वे उड़ना हमको सिखलाते।
तोते जैसे हम उड़ पाते।।
नदी ताल में पानी पीते।
अपने मन का जीवन जीते।।
'शुभम्' नहा वर्षा में आते।
तोते जैसे हम उड़ पाते।।
🪴 शुभमस्तु !
२२.०८.२०२२◆११.४५आरोहणम् मार्त्तण्डस्य।
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