320/2022
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✍️शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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देश का गौरव
अपना तिरंगा
गगन में फहराए,
निश्चिंत हो लहराए,
बना प्रतीक
पराक्रम त्याग,
शांति और
हरित समृद्धि का।
अनेकता में एकता
ध्वज ने सिखाई,
साथ चलने की
दिशा इसने दिखाई,
मार्गदर्शक वह हमारा,
विजयी विश्व
तिरंगा प्यारा।
हमारी आन
बान और शान,
हमारे पहचान,
हमारा मान,
इसका
रक्षा- दायित्व हमारा,
सदियों से लहराता
गहराता रहा ,
रहे यों ही
देता हुआ हुआ
संदेश उजियारा।
हमारी देशभक्ति का
दिव्य प्रतीक,
देश के अनाम
बलिदानियों की याद,
धरोहर
अपना स्वाभिमान,
अनन्त प्यार
बिखेरता हुआ बहार।
बहती हुई ज्यों
धरणि पर गंगा,
आकाश में
स्वतंत्र त्यों
लहराता हुआ
अमर तिरंगा,
इसे न बनाएं खेल,
सियासती
नाटक का पात्र,
क्योंकि नहीं है
इसे धारण
करने की पात्रता
सबके पास,
रखना है इसे सँभाल।
कपड़े का
टुकड़ा भर नहीं,
प्राणों की बाजी
देने वाले
समझते हैं
मूल्य ध्वज का,
पावन करता है
गगन से ही
एक - एक कण
भारत भूमि की
'शुभम' रज का।
🪴शुभमस्तु !
१२.०८.२०२२◆६.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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