शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

सजल 🪦

 317/2022

 

■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■

समांत:आर।

पदांत:दिया है।

मात्राभार :16.

मात्रा पतन:शून्य।

■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■

✍️ शब्दकार ©

🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■

कर्ता    ने      संसार       दिया  है।

नर - तन    का   उपहार   दिया है।।


रहना    है    कृतज्ञ     कर्ता   का।

हवा ,धूप    का   प्यार    दिया है।।


नर   को     नारी    नारी    को नर।

सौंप    बड़ा    सुखसार  दिया है।।


नौ    द्वारों    में      बसें    इन्द्रियाँ।

देकर   प्रभु    ने  तार    दिया  है।।


संचालक    नर  -  देही   का मन।

कोई    दबा     उभार   दिया  है।।


नहीं     कमी       करता    लेने   में।

क्या   सुंदर    व्यवहार    दिया   है??


'शुभम्'   पुण्य    जड़     हरी बनाता।

मन  ने  क्या    सुविचार  दिया    है।।


🪴शुभमस्तु !

०८.०८.२०२२◆५.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...