सोमवार, 29 अगस्त 2022

आदमी ही आदमी का ईश! 🪷 [ गीतिका ]

 349/2022



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✍️ शब्दकार ©

🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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किसी गरीब  की आह कभी, लिया न करो।

न  सताया   ही   करो   बुरा, किया न करो।।


न  भली   आह से  लोह  भस्म   हो   जाए,

रोती   सिसकती   साँस  में , जिया न करो।।


दुनिया   में   अच्छे   काम  के महके  सुमन,

अरे  दाह  किसी   जीव  को, दिया न करो।।


आदमी     ही     आदमी   का  ईश    ब्रह्मा,

यों  आदमी  के  सुख  कभी, पिया न करो।।


चाहते  हैं  सब  'शुभम्'  जीवन  सदा   हो,

मानवीय   पथ   छोड़कर, दुखिया न करो।।


🪴 शुभमस्तु !


२९.०८.२०२२◆७.१५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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