349/2022
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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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किसी गरीब की आह कभी, लिया न करो।
न सताया ही करो बुरा, किया न करो।।
न भली आह से लोह भस्म हो जाए,
रोती सिसकती साँस में , जिया न करो।।
दुनिया में अच्छे काम के महके सुमन,
अरे दाह किसी जीव को, दिया न करो।।
आदमी ही आदमी का ईश ब्रह्मा,
यों आदमी के सुख कभी, पिया न करो।।
चाहते हैं सब 'शुभम्' जीवन सदा हो,
मानवीय पथ छोड़कर, दुखिया न करो।।
🪴 शुभमस्तु !
२९.०८.२०२२◆७.१५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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