सोमवार, 15 अगस्त 2022

विदा हुआ अब सावन 🌈 [ गीत ]

 327/2022


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✍️ शब्दकार ©

🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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रिमझिम-रिमझिम कजरी गाता,

विदा हुआ अब सावन।


रजोमती   सरिताएँ   धाईं,

रजमयता  निज  हरने,

हरी घास पर दौड़ लगातीं,

भैंसें      गायें     चरने,

हवा  बहे  बरसाती,

हैं प्रसन्न सुत नाती,

धरती  है  मनभावन।


भैया ने कर  में   बंधवाई,

लाई  बहना  राखी,

कोकिल मोर हुए मतवाले,

नाच रहे  सब पाखी,

करते कृषक किसानी,

सोहे    साड़ी    धानी,

धरा  नित  रम्य  सुपावन।


श्रीकृष्ण  की   जन्मअष्टमी,

मना    रहे     नर - नारी,

भादों कृष्ण पक्ष  की काली,

निशा  सजल  अँधियारी,

जन्मे  कृष्ण कन्हाई,

बजती  रही   बधाई,

गोपी  -  गोप रिझावन।


नील गगन तल उड़ते  बगुले,

मोर बाग  में  नाचें,

भोर हुई  ले - ले  निज पोथी,

पाखी तरु पर बांचें,

पंडुक भजन सुनाती,

वेला    प्रेय   प्रभाती,

आए  हैं   घर   साजन।


🪴 शुभमस्तु !


१४.०८.२०२२◆१०.०० पतनम मार्तण्डस्य।

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