मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

कृषक पर छान नहीं🪭 [ सजल ]

 160/2023


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●समांत : आन।

●पदांत :   नहीं।

●मात्राभार :22.

●मात्रा पतन:शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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जाना मत उस द्वार,जहाँ सम्मान   नहीं।

स्वार्थ भरा संसार, किसे संज्ञान    नहीं!!


कर्मवीर    को  देश, करेगा   याद     सदा,

कर्महीन   का नाम, कहीं पहचान    नहीं।


बदल - बदल कर वेश, देश जो  ठगते  हैं ,

पग - पग पर बदनाम,कहीं गुणगान नहीं।


करते   झूठी    बात,   द्वार  पर   मतमंगे ,

बदल मुखौटे नित्य,मनुज अनजान नहीं।


सुन कोकिल की कूक,जगी विरहिन पीड़ा,

रस  लेता अलि चूस,सुमन को भान नहीं।


कर  महलों  में  वास,आम को  भूला   है,

क्या न तुझे अनुमान,कृषक पर  छान नहीं।


जनसेवा   का नाम, ख़ाक से लाख   हुआ,

'शुभम्' तुम्हारा  काम, कहीं संधान  नहीं।


🪴शुभमस्तु !


10.04.2023◆6.00आ०मा०

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