157/2023
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✍️ शब्दकार ©
🌴 डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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मुझको तुम्हारे दर्द का शजरा न मिला।
महका गुलाबी जिस्म वो गजरा न मिला।।
किसको बताएँ हाल जाए न कहा,
खोया तुम्हारे पास ही खसरा न मिला।
ख़ुशबू दहकते हुस्न की बसती बदन,
तुमसे तुम्हीं हो एक ही दुसरा न मिला।
मरता नहीं है इश्क़ ये सौ - सौ जनम,
देनी पड़ेगी दाद तिरा जिगरा न मिला।
आँखें तो देखीं खूब ही सूरत 'शुभम्',
आँखों से लेता जान जो कजरा न मिला।
🪴शुभमस्तु !
09.04.2023◆2.30प०मा०
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