मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

चुगली-चाट 👥 [ चौपाई ]

 147/2023

    

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✍️ शब्दकार ©

👥 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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गली - गली  में   चुगली  ताई।

महकाती घर - घर  कुनबाई।।

सास - बहू  में   हुई    लड़ाई।

करते चुगली  लोग  - लुगाई।।


तिल का ताड़   बनाने  वाली।

बहे    पनारे    नाले -  नाली।।

चुगली  देवी   की    प्रभुताई।

यहाँ वहाँ पनघट    में  छाई।।


चिनगी  आग  लगाती चुगली।

कूद-फाँदकर छत से उछली।

फेंक रही   है   ऊँची   गुगली।

नहीं समझना चुगली दुबली।।


अतिशयोक्ति  की चुगली नानी।

 नई   बनाती    बात  पुरानी।।

पल में  मुर्दे    गढ़े     उखाड़े।

तरु   खजूर  पर झंडे   गाड़े।।


कला नहीं सबको   ये आती।

झूठ तथ्य को सच करवाती।।

जिसे महारत हासिल होती।

पूँछ न उसकी कटती खोती।।


नमक मिर्च अपनी कुछ डालें।

चुगली - चाट बना खिलवालें।।

उनके कान  जुबान तुम्हारी।

रस परिपूरित चुगली प्यारी।।


'शुभम्' चलें सम्मान बढ़ाएँ।

मूसल दाल - भात में  लाएँ।।

चुगली   तेरा  मान   बढ़ाती।

नाली से छत पर ले जाती।।


🪴शुभमस्तु !


03.04.2023◆1.30प.मा.

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