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✍️ शब्दकार©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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छोटे कच्चे आम टिकोरे।
आते अपने काम टिकोरे।।
चलती आँधी टप- टप गिरते,
गिरें सुबह से शाम टिकोरे।
दीदी ढेले मार गिराती,
बगिया में जा ग्राम टिकोरे।
मौसम हो वैशाख जेठ का,
करते अपना काम टिकोरे।
कानों में कुछ फुसफुस करती
लाने को जा घाम टिकोरे।
हिलती डाल भरे मुख पानी,
ललचाते हर वाम टिकोरे।
'शुभम्' पुकारे जब कोयलिया,
बिना दिए दे दाम टिकोरे।
🪴शुभमस्तु !
21.04.2023 ◆3.30आ.मा.
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