145/2023
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✍️शब्दकार ©
🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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नमो!नमो!!ॐकार,अम्बिकानाथ नमन।
करो जगत - उद्धार,तुम्हारा नित वंदन।।
डमरू के स्वरकार!त्रिपुण्डी मस्तकधर,
शीश त्रिपथगा धार,विराजित तीन नयन।
शिव त्रिशूल है संग, भक्त- रक्षक प्रभवे!
कामेश्वर ! भूतेश!!दिगम्बर! हर! भगवन।
गले सर्प के हार, अस्थिमाली! भोले!
महाकाल! ध्रुव! भूरि!उमापति नंगा तन।
विश्वनाथ ! कैलाश , तुम्हारा वास सदा,
कल्पवृक्ष! एकाक्ष! हमारे जीवन - धन।
कण-कण में सर्वेश!उमापति!शिव ! शंभू!
खड्गपरशु ! ईशान!वास जल,थल वन-वन।
शोभित सोम ललाट, त्र्यम्बक ! चंद्रेश्वर!
कापालिक! हे नाथ!कृपा कर निज चितवन।
अचलेश्वर!अज्ञेय!अतीन्द्रिय! अत्रि !अनघ!
अरिदम!अभय!अमोघ!अपानिधि!हुत!अभदन!
गणनायक के तात! षडानन जनक 'शुभम्'!
नंदी वाहन साथ, उदधि मेदिनी गगन।
जन्म - जन्म शिव भक्ति,सदा देना सर्वश!
विस्मृत करूँ न नाथ!कमंडलुधर छन-छन।
🪴शुभमस्तु !
03.04.2023◆7.30 आ.मा.
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