मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

नमो ! नमो!!ॐ कार 🪦 [ गीतिका ]

 145/2023


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✍️शब्दकार ©

🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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नमो!नमो!!ॐकार,अम्बिकानाथ नमन।

करो जगत - उद्धार,तुम्हारा नित वंदन।।


डमरू के स्वरकार!त्रिपुण्डी मस्तकधर,

शीश त्रिपथगा धार,विराजित तीन नयन।


शिव त्रिशूल है संग, भक्त- रक्षक   प्रभवे!

कामेश्वर ! भूतेश!!दिगम्बर! हर! भगवन।


गले सर्प   के हार, अस्थिमाली!    भोले!

महाकाल! ध्रुव! भूरि!उमापति  नंगा  तन।


विश्वनाथ ! कैलाश , तुम्हारा वास    सदा,

कल्पवृक्ष!  एकाक्ष!  हमारे जीवन -  धन।


कण-कण में सर्वेश!उमापति!शिव !  शंभू!

खड्गपरशु ! ईशान!वास जल,थल वन-वन।


शोभित   सोम  ललाट, त्र्यम्बक !   चंद्रेश्वर!

कापालिक! हे नाथ!कृपा कर निज चितवन।


अचलेश्वर!अज्ञेय!अतीन्द्रिय! अत्रि !अनघ!

अरिदम!अभय!अमोघ!अपानिधि!हुत!अभदन!


गणनायक के तात! षडानन जनक 'शुभम्'!

नंदी  वाहन  साथ,   उदधि मेदिनी   गगन।


जन्म - जन्म शिव भक्ति,सदा देना   सर्वश!

विस्मृत करूँ न नाथ!कमंडलुधर छन-छन।


🪴शुभमस्तु !


03.04.2023◆7.30 आ.मा.

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