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✍️ शब्दकार ©
🎻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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माता वीणावादिनी, नमन करे शत बार।
पुत्र 'शुभं'नित विनत है,माँ कर कृपा अपार।
अक्षर -अक्षर जोड़कर,दिया शब्द उपहार।
उर - भावों के रंग से, बने काव्य शुभकार।।
रस-वाणी रसना भरी ,करे जगत कल्याण।
ज्ञानदायिनी शारदे, मेधा कर मम त्राण।।
विमला, विश्वा, ज्ञानदा, इला, ईश्वरी मात।
अंधकार उर का मिटा,लाएँ हृदय प्रभात।।
अक्षर - अक्षर ब्रह्म है,दोहा 'शुभम्' प्रणीत।
लिखवाती गह लेखनी, सरस छंद माँ गीत।
जन्म-जन्म तव चरण में,गाऊँ कविता नित्य
शुभकारी दुखहारिणी,जनहित मय औचित्य
लिखतीं लिखवातीं तुम्हीं, होता मेरा नाम।
तव चरणों में सौंपता,विधुवदनी शुभ धाम।।
त्रिगुणा, शुभदा,अम्बिका,पाप मोचना रूप।
विस्मृत करे न एक पल,भगवत'शुभं' स्वरूप
कामप्रदा, सुरपूजिता, वंद्या आ उर - गेह।
कृपाकरों से काव्य का, बरसाओ माँ मेह।।
चित्राम्बरि माँ भारती,आर्त 'शुभम्' तव द्वार।
खटकाता माँ अर्गला,याचक कवि उपहार।।
पद्माक्षी! वसुधे!'शुभम्',याचक को दो बूँद।
दे दें अपने कर युगल,बैठा लोचन मूँद।।
🪴 शुभमस्तु !
20.04.2023◆10.००आ.मा.
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