शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023

माँ वीणावादिनी से 🎻 [दोहा ]

 176/2023

 

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✍️ शब्दकार ©

🎻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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माता   वीणावादिनी, नमन करे  शत  बार।

पुत्र 'शुभं'नित विनत है,माँ कर कृपा अपार।

अक्षर -अक्षर जोड़कर,दिया शब्द उपहार।

उर - भावों के रंग से, बने काव्य  शुभकार।।


रस-वाणी रसना भरी ,करे जगत कल्याण।

ज्ञानदायिनी    शारदे, मेधा कर  मम  त्राण।।

विमला,  विश्वा, ज्ञानदा, इला, ईश्वरी   मात।

अंधकार उर  का  मिटा,लाएँ हृदय  प्रभात।।


अक्षर - अक्षर  ब्रह्म  है,दोहा 'शुभम्' प्रणीत।

लिखवाती गह लेखनी, सरस छंद  माँ गीत।

जन्म-जन्म तव चरण में,गाऊँ कविता नित्य

शुभकारी दुखहारिणी,जनहित मय औचित्य


लिखतीं लिखवातीं तुम्हीं, होता  मेरा  नाम।

तव चरणों में सौंपता,विधुवदनी  शुभ धाम।।

त्रिगुणा, शुभदा,अम्बिका,पाप मोचना रूप।

विस्मृत करे न एक पल,भगवत'शुभं' स्वरूप


कामप्रदा, सुरपूजिता, वंद्या आ उर -  गेह।

कृपाकरों से  काव्य का, बरसाओ माँ  मेह।।

चित्राम्बरि माँ भारती,आर्त 'शुभम्' तव द्वार।

खटकाता माँ अर्गला,याचक कवि उपहार।।


पद्माक्षी! वसुधे!'शुभम्',याचक को दो बूँद।

दे दें  अपने  कर  युगल,बैठा लोचन  मूँद।।


🪴 शुभमस्तु !


20.04.2023◆10.००आ.मा.

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