रविवार, 9 अप्रैल 2023

बेघर-बार बेचारा! 🧙🏽‍♂️ [ चौपाई ]

 159/2023

       

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✍️शब्दकार ©

🪂 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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बेघर  -    बार     वसन    तन मैला।

पाँव  न     जूते      साथ    न   थैला।।

बंद      दुकान        लगा     है ताला।

 नहीं    पास    में      दिखता  लाला।।


दाढ़ी    बढ़ी     केश     सिर खिचड़ी।

बेचारे      की      सु -   दशा बिगड़ी।।

पहने               धारीदार      पजामा।

नहीं      पास      में    उसके   नामा।।


फड़  - सिल   पर  वह जाकर सोया।

किसने         देखा      भूखा  रोया!!

दाढ़ी      में    उर   -   भाव  छिपाए।

नयनों     में       आँसू    भर आए।।


लगा      बाँह    का   तकिया  सोए।

सपने      रंक     भूप     के     बोए।

पड़ा      सड़क    पर  दूषण  सारा।

सोया         निर्धन      तन  बेचारा।।


पीत     कमीज      पहन   अधबाँही।

चिंताहीन           धूप       या छाँही।।

'शुभम्'   न   प्रभु     नर    दीन बनाए।

जहाँ - तहाँ     पड़     वह  सो जाए।।


🪴शुभमस्तु !


09.04.2023◆6.00प०मा०

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