शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

ग़ज़ल 🌴

 152/2023

    

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✍️ शब्दकार ©

🌴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सुघर        चाँद     में   दाग  मिला     है।

इंसानों          में     नाग      मिला    है।।


झोपड़ियाँ          दिन    -  रात     कराहें,

बीच      किले     के    बाग  मिला    है। 


हंसों       के          सँग     बगुले    आए,

कोकिल -  दल       में     काग  मिला है।


गम      है       कोसों      दूर    ख़ुशी   में,

बेवा      -     भाल      सुहाग   मिला    है।


 नहीं          गाय       का     दूध   सुहाता,

घर   -   घर    बकरी -   छाग   मिला   है।


गीत       कौन          सुमधुर    है     गाता,

नहीं        कर्णप्रिय       राग   मिला      है।


'शुभम्'        रसायन      खाती      दुनिया,

जहरीला        हर      साग   मिला       है।


🪴 शुभमस्तु !


05.04.2023◆7.00प.मा.


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