शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

चंदन 🌳 [ कुंडलिया ]

 153/2023

          

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✍️शब्दकार ©

🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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                         -1-

चंदन चर्चित चाम का,चींटी भर  क्या  मोल?

गुण-गुंजन  गूँजे  नहीं,जीवन झोलमझोल।।

जीवन झोलमझोल,जले ज्यों लकड़ी ईंधन।

जल जाए त्योंआग,चमकता मानव का तन।

'शुभम्'गुणों की गंध, जगत में  पाती   वंदन।

नाशवान का रूप, कनक, चाँदी क्या चंदन।।


                         -2-

अपना जीवन आप ही,महकाएँ निज नाम।

है  अपने  ही  हाथ में, हों जैसे कृत  काम।।

हों जैसे कृत काम,मनुज चंदन- सा  महके।

यश की ध्वजा अपार,शून्य में चढ़कर चहके।

'शुभं'कर्म का फूल,महकता समुचित  तपना

शीतलता  दे मीत, बना मन चंदन   अपना।।


                         -3-

चंदन  से  लिपटे रहें,विषधर सदा   भुजंग।

तथ्य नहीं  ये ठीक  है,नहीं उचित  ये संग।।

नहीं उचित ये संग,नहीं क्यों विष वे  त्यागें?

जो  महके   दिन-रात,दूर वे उससे   भागें।।

'शुभम्' सर्प का साथ,नहीं पाता जग - वंदन।

न हो मलय गुणगान,मनुज क्यों चाहे चंदन।।


                          -4-

चंदन   तेरा  नाम  है, गुण में सदा   विलोम।

शीतलता  सपने नहीं,तप्त ज्वाल - से रोम।।

तप्त ज्वाल - से रोम,शब्द ज्यों मक्का भूनी।

उग्र  दहकती  जीभ, नेह  से खाली    सूनी।।

'शुभम्'कर्म का ताज, शीश पर  सोहे वंदन।

अर्जित  करें  सुगंध, तभी कहलाएँ   चंदन।।


                         -5-

चंदन  औषधि रोगहर,उच्च रक्त  का  चाप।

करे  नियंत्रित  शीघ्र ही,छींक, मुँहासे, ताप।

छींक,मुँहासे, ताप, पुरुष- शुक्राणु   बढ़ाए।

खजली से आराम, नाभि पर लेप   लगाए।।

'शुभम्'भाल पर बिंदु,सजाए कर शिववंदन।

देवालय  के  धाम,लगा सिर जा नर  चंदन।।

🪴शुभमस्तु!


07.04.2023◆5.00प.मा.


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