153/2023
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✍️शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
चंदन चर्चित चाम का,चींटी भर क्या मोल?
गुण-गुंजन गूँजे नहीं,जीवन झोलमझोल।।
जीवन झोलमझोल,जले ज्यों लकड़ी ईंधन।
जल जाए त्योंआग,चमकता मानव का तन।
'शुभम्'गुणों की गंध, जगत में पाती वंदन।
नाशवान का रूप, कनक, चाँदी क्या चंदन।।
-2-
अपना जीवन आप ही,महकाएँ निज नाम।
है अपने ही हाथ में, हों जैसे कृत काम।।
हों जैसे कृत काम,मनुज चंदन- सा महके।
यश की ध्वजा अपार,शून्य में चढ़कर चहके।
'शुभं'कर्म का फूल,महकता समुचित तपना
शीतलता दे मीत, बना मन चंदन अपना।।
-3-
चंदन से लिपटे रहें,विषधर सदा भुजंग।
तथ्य नहीं ये ठीक है,नहीं उचित ये संग।।
नहीं उचित ये संग,नहीं क्यों विष वे त्यागें?
जो महके दिन-रात,दूर वे उससे भागें।।
'शुभम्' सर्प का साथ,नहीं पाता जग - वंदन।
न हो मलय गुणगान,मनुज क्यों चाहे चंदन।।
-4-
चंदन तेरा नाम है, गुण में सदा विलोम।
शीतलता सपने नहीं,तप्त ज्वाल - से रोम।।
तप्त ज्वाल - से रोम,शब्द ज्यों मक्का भूनी।
उग्र दहकती जीभ, नेह से खाली सूनी।।
'शुभम्'कर्म का ताज, शीश पर सोहे वंदन।
अर्जित करें सुगंध, तभी कहलाएँ चंदन।।
-5-
चंदन औषधि रोगहर,उच्च रक्त का चाप।
करे नियंत्रित शीघ्र ही,छींक, मुँहासे, ताप।
छींक,मुँहासे, ताप, पुरुष- शुक्राणु बढ़ाए।
खजली से आराम, नाभि पर लेप लगाए।।
'शुभम्'भाल पर बिंदु,सजाए कर शिववंदन।
देवालय के धाम,लगा सिर जा नर चंदन।।
🪴शुभमस्तु!
07.04.2023◆5.00प.मा.
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