शनिवार, 1 अप्रैल 2023

जीवन- साथी🦚 [ गीत ]

 140/2023


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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कण-कण को

शुभ साथ चाहिए

जीवन का सहकार।

शाख-शाख

पल्लव हिलते हैं

करते नित उपकार।।


सृष्टि रची

विधि ने ये अद्भुत

सबका निर्मित जोड़ा।

जो चाहा

वह योग मिलाया

पंथ उसी ने  मोड़ा।।


एक - एक 

मिल ग्यारह बनते

देते निज उपहार।


पति -पत्नी 

कहलाते दंपति

मानव चींटी हाथी।

मिला कदम

वे सँग - सँग चलते

होते जीवन -साथी।।


जड़ -चेतन

आकर्षण में भर

मिलते विविध प्रकार।


सात -सात

जन्मों का बंधन

योनि-योनि दर जाता।

सनातनी

हर मानव हिन्दू

सत्य यही पतियाता।।


धर्म -पंथ

हो जाता पावन

हो कृतज्ञ कृतिकार।


सुहृद भाव

चलती है संसृति

हिंसा - भाव न लाना।

शूल -फूल

 पर हँसकर चलना,

अधर युगल मुस्काना।।


चलता है

निर्बाध सुजीवन

भवनिधि होता पार।।


🪴शुभमस्तु !


01.04.2023◆5.00

पतनम मार्तण्डस्य।

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