686/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
समांत : अन
पदांत : अपदांत
मात्राभार : 16.
मात्रा पतन : शून्य।
चंचल चपल चुलबुला बचपन।
दिखलाता है कितने ठनगन।।
खेल खेलना लगता उत्तम।
बचपन से जीवन हो शोभन।।
अम्मा दादी लाड़ लड़ाएँ।
बाबा कहें पौत्र जीवन-धन।।
गिल्ली -डंडा गेंद कबड्डी।
कभी बनाते किरकिट के रन।।
गली-गली में धूम मचाते।
बाग-बगीचा घूमें वन-वन।।
कहें पिताजी पढ़ लो बेटे।
पढ़ने में पर लगे नहीं मन।।
'शुभम्' सुनहरे दिन जीवन के।
चकरी-सा फिरता है घन -घन।।
शुभमस्तु !
24.11.2025●7.30 आ०मा०
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