678/2025
©शब्दकार
©डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्
आजकल की शादियाँ
शादियाँ नहीं
शादियों के नाम पर
अपनी रईसी की
नुमायश भर हैं ।
किसी की दमकती हुई
महँगी साड़ी
किसी की चमकती हुई
घोड़ा गाड़ी
खिलखिलाते हुए
बल्बों की झिलमिलाहट
चहकती हुई चिड़ियों की
चहचहाट
टीवी की डिस्प्ले पर
महकते हुए व्यंजन
कहीं चंचल नयनों के
फड़कते हुए खंजन
लकदक सूट में सजे हुए
दूल्हा,
उसके संबंधी।
उन्होंने बनवाईं
पचास तरह की रोटियाँ
अट्ठासी प्रकार की मिठाईयां
शत -शत पकवान
नाश्ते व्यंजन
वे बनवाएंगे
पचपन प्रकार की पूड़ियाँ
पराँठे दोसा छोले भटूरे
कम से कम
एक सौ एक प्रकार की
देशी विदेशी मिठाइयाँ
सजवाएँगे,
यही नहीं फलों की चाट में
विदेशी चायना जापानी
फल भी होंगे
लोग खायेंगे कम
सराहेंगे ज्यादा,
यही तो आज की
शादियों का नुमाइशी कायदा।
येन केन प्रकारेण
धन कमाइए
अपनी संतति की
नुमाइशी शादियों में
उड़ाइए,
किंचित भी गुप्ता जी से
कम हो गया
तो शर्मा जी की नाक ही
न कट जाएगी,
फिर ब्याहली की अम्मा
और सासें किसी की
साँस कैसे रोक पाएंगी,
गली के नुक्कड़ पर
उनकी हेठी नहीं हो जाएगी?
मेरे अभिजात्य जनो !
मेरी बात ध्यान से गुनो
झूठी प्रतिष्ठा में
बरबाद क्यों हुए जाते हो!
किसी अपने का
गला काटने में
क्यों नहीं शरमाते हो,
झूठी शान दिखाई
दे ही जाती है,
जब दुल्हन दहेज की
खातिर ससुरालय में
दुत्कारी जाती है,
और सासों के उलाहनों से
सम्मानित की जाती है।
शुभमस्तु !
11.11.2025●11.15 आ०मा०
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