शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

अब हैल्थ डिब्बाबंद है [ नवगीत ]

 697/2025


        


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कुदरती 

कुछ भी नहीं

अब हैल्थ डिब्बाबंद है।


कैप्सूलों 

गोलियों पर

चल रहा है आदमी

जीना

अगर कुछ और दिन तो

छल हुआ ये लाज़मी

बेस्वाद हैं

कद्दू करेला

बदला हुआ हरछन्द है।


फ़ास्ट है

अब लाइफ की

हर चाल में नित होड़ है

चंद्रयानी

गति पकड़ता

आदमी  बिन  गोड़ है

दिख रहा है

नासिका को

धुंध में मकरंद है।


कर बनावट से

सजावट

और कुछ की चाह में

गर्व से

उन्नत करे सिर

झूठ  वाहो वाह में

भूल जाता 

चार दिन की

जिंदगी का कंद है।


शुभमस्तु !


28.11.2025●1.00प०मा०

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