गुरुवार, 12 मार्च 2020

होली आई है गोरी! [ गीत ]


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✍ शब्दकार©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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होली      आई      है    गोरी, 
अरे !   कुछ     पास आने दे।
गले   आ   मिल  धमाके से,
अधर   पर   हास  छाने  दे।।

यहाँ   देखो    वहाँ     देखो ,
हर       ओर      रंगत      है।
भ्रमर  ने   फूल   को  चूमा,
सुघर - सी  आज संगत है।।
अपनी    ये  अधर -  हाला ,
 तू     पीने  दे   पिलाने     दे।
होली     आई      है    गोरी,
अरे !   कुछ  पास आने दे।।

हवा  में  उड़  रहा   आँचल,
उसे  मत   हाथ  से   रोको।
हमारे    हाथ   की   हरकत,
नहीं      रोको  नहीं  टोको।।
छिपी  मन  में  तेरी  इच्छा,
तुरत   पूरी   हो   जाने   दे।
होली       आई     है    गोरी ,
अरे ! कुछ   पास  आने दे।

युगल-पग  बज रहीं पायल,
रुनक रुनझुन  तो सुनने दे।
सजल    संगीत  स्वर लहरी,
नए    सपने   तो  बुनने  दे।।
तेरी    आँखों के काजल को,
अधर     से  तो   चुराने   दे।
होली        आई    है    गोरी,
अरे !   कुछ   पास आने  दे।।

गले   का    हार   तो   देखो ,
बड़ा    ही   भाग्यशाली   है।
तना     वक्षों   पे    जो   तेरे,
धजा   उसकी   निराली  है।।
सुरभि  गलहार   की  गोरी,
करतल   को   दिखाने   दे।
होली    आई    है     गोरी  ,
अरे ! कुछ   पास आने दे।।

कमर  की   करधनी  अपनी,
कभी   चुपचाप  मत रखना।
सदा लय  ताल  से   सुन्दरि!
नचाती    नाचती      रहना।।
पैर  निज  बाँध  कर  घुँघरू,
छनन छन   छनछनाने   दे।
होली     आई     है     गोरी,
अरे !  कुछ  पास  आने दे।।

सुना   है  मधुर  गुझिया का,
बड़ा   सुस्वाद    रसना  को।
हमें   हिम्मत    नहीं   इतनी,
वहाँ  हमको  न फँसना जो।।
अगर मन   में  बसी  इच्छा,
रिसने     दे    रिसाने     दे।
होली      आई    है    गोरी ,
अरे ! कुछ   पास  आने दे।।

आज   मिलने  का  मौसम है,
 नदी   से  मिल  रहा  सागर।
सजन  से मिल  रही  सजनी,
नागरी     से    मिला  नागर।।
कसो    भुजपाश  में  सजनी,
अँग -  अँग  से    मिलाने  दे।
होली        आई      है    गोरी ,
अरे !  कुछ  पास   आने दे।।

सरहदें       तोड़     दे   सारी,
उठा   ले   नजर   तो अपनी।
चूसता   है   ज्यों   रस  भौंरा,
रखो  मत    दूरियाँ   इतनी।।
'शुभम'    आकाश   को  गोरी,
धरा     पर   आज    छाने दे।
होली      आई      है     गोरी ,
अरे !   कुछ   पास  आने  दे।।

💐 शुभमस्तु !

10.03.2020 ◆9.00पूर्वाह्न।

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