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✍ शब्दकार ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अरे! तू रसिया बनों डोलै।
गलिन में रसिया बनों डोलै।।
तोए नाएँ खबरि हमारी,
तू हमसों नाहिं-नाहिं बोलै ।।
चुनरी सबकी लाल है गईं।
चोली हमरी काल है रई ।।
घांघरौ लहरि - लहरि झोलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
सेज भई है साँपिन मोरी।
चोली - चुनरी अजहूँ कोरी।।
नाहिं पिचकारी तू खोलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
छनन छनन पायल छनकाऊँ।
कमर-कोंधनी हूँ झनकाऊँ।।
कलाई की चुरियाँ हूँ बोलें।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
काजर बिंदिया काहि लगाऊँ।
लाल होंठ करि मैं शरमाऊँ।।
नथनिया मारै झकझोलै ।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
फागुनु आगि लगाय रहौ ऐ ।
तू चों दाह बढ़ाय रहौ ऐ ।।
बेगि आय पिय तपन बुझौलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
कामु, कमान तानिकें आयौ।
बानें मोकूँ बड़ौ रिझायौ।।
तराजू पल - पल पै तोलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
फूलन की कमान मतवारी।
भरें तीर फुलनु सिसकारी।।
होय जौ होनी जो होलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
है रई गली - गली मां होरी।
कहूँ भौतु कहूँ थोरी - थोरी।।
रंगु तू अपनों कब घोलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
आमु गयौ बौराय हमारौ।
पीपरु भयौ जवान तिहारौ।।
रितु आई तू मेरौ हो लै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
टपके महुआ टेसू फूले।
गेंदा औरु गुलाबहु ऊले।।
'शुभम'बनों अलि हमकू छूलै।
अरे ! तू रसिया बनों डोलै।।
💐 शुभमस्तु !
06.03.2020◆12.55अप.
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