शुक्रवार, 6 मार्च 2020

तू रसिया बनों डोलै [ होली रसिया गीत]


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✍ शब्दकार ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अरे! तू   रसिया  बनों  डोलै।
गलिन में रसिया बनों डोलै।।
तोए   नाएँ   खबरि   हमारी,
तू हमसों  नाहिं-नाहिं बोलै ।।

चुनरी  सबकी  लाल  है  गईं।
चोली हमरी   काल  है  रई ।।
घांघरौ लहरि - लहरि  झोलै।
अरे ! तू रसिया बनों  डोलै।।

सेज  भई   है  साँपिन  मोरी।
चोली - चुनरी  अजहूँ कोरी।।
नाहिं  पिचकारी    तू   खोलै।
अरे ! तू  रसिया  बनों  डोलै।।

छनन छनन पायल छनकाऊँ।
कमर-कोंधनी  हूँ  झनकाऊँ।।
कलाई की  चुरियाँ   हूँ  बोलें।
अरे ! तू  रसिया बनों  डोलै।।

काजर बिंदिया काहि लगाऊँ।
लाल होंठ करि मैं  शरमाऊँ।।
नथनिया    मारै   झकझोलै ।
अरे ! तू   रसिया  बनों डोलै।।

फागुनु  आगि लगाय रहौ ऐ ।
तू चों  दाह  बढ़ाय  रहौ  ऐ ।।
बेगि आय पिय तपन बुझौलै।
अरे ! तू  रसिया बनों डोलै।।

कामु, कमान तानिकें  आयौ।
बानें   मोकूँ   बड़ौ  रिझायौ।।
तराजू   पल - पल   पै  तोलै।
अरे ! तू  रसिया  बनों डोलै।।

फूलन  की  कमान  मतवारी।
भरें  तीर  फुलनु  सिसकारी।।
होय   जौ   होनी  जो    होलै।
अरे ! तू  रसिया  बनों  डोलै।।

है  रई  गली - गली  मां  होरी।
कहूँ  भौतु कहूँ थोरी - थोरी।।
रंगु   तू   अपनों    कब  घोलै।
अरे ! तू  रसिया बनों  डोलै।।

आमु   गयौ   बौराय   हमारौ।
पीपरु भयौ  जवान  तिहारौ।।
रितु  आई   तू   मेरौ   हो  लै।
अरे ! तू  रसिया बनों  डोलै।।

टपके    महुआ   टेसू    फूले।
गेंदा  औरु   गुलाबहु   ऊले।।
'शुभम'बनों अलि हमकू छूलै।
अरे ! तू  रसिया बनों  डोलै।।

💐 शुभमस्तु !

06.03.2020◆12.55अप.

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