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✍ शब्दकार ©
🌹 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मारेंगे रँग भर पिचकारी।
नाचें - कूदेंगे दे तारी।।
रंग - रँगीला फ़ागुन आया।
होली का उत्सव है लाया।।
खाएँगे हम गुझिया प्यारी।
मारेंगे रँग भर पिचकारी।।
माथे लाल गुलाल लगाएँ।
चंदन से सबको महकाएँ।।
खुशी मनाएँ सब नर -नारी।
मारेंगे रँग भर पिचकारी।।
सबको अपने गले लगाएँ।
ऊँच - नीच का भेद मिटाएँ।।
नहीं किसी को देना गारी।
मारेंगे रँग भर पिचकारी।।
माँ पितु गुरु का शुभाशीष ले।
सबसे आगे सबसे पहले।।
बोली बोलें सबसे प्यारी।
मारेंगे रँग भर पिचकारी।।
कीचड़ - माटी हमें न भाते।
लाल ,हरे रँग खूब सुहाते।।
'शुभम' कर चुके हम तैयारी।
मारेंगे रँग भर पिचकारी।।
💐 शुभमस्तु !
02.03.2020◆12.15 अप.
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