गुरुवार, 12 मार्च 2020

कोई बुरौ न मानियौ [ दोहा ]


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✍ शब्दकार©
🤷🏻‍♂ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जिसने   भेजे चित्र या,चपल वीडियो आज।
तुरत हटाए रुचि बिना,मोबाइल हितकाज।।

कभी   न भेजें वीडिओ,और न मुझे इमेज।
कूड़े में  उड़ जाएँगे,  खुद  ही उन्हें   सहेज।।

मोबाइल    की  गंदगी, होते   ये सब मित्र।
भेज बला निज काटते ,त्यौहारों के चित्र।।

सुप्रभात  शुभरात के,चित्र वीडियो यार।
पहले सोचो आप ही, तब करना संचार।।

अपना  कचरा   फेंकते,तुम सब मेरे द्वार।
खुश सब होते फेंककर,सोचे बिना विचार।

कैसे तुम रख पाउगे, शुद्ध निजी परिवेश।
इधर फेंकते गंदगी  ,बनकर बहु   ज्ञानेश।।

देते हो उपदेश नित ,भर भर कर अख़बार।
पर निज कचरा फेंकते, तुम दूजे के द्वार।।

क्षमता का क्या ज्ञान है, तुम्हें नहीं जब यंत्र।
फिर   क्यों रेडीमेड   ये, भेज  रहे ज्यों मंत्र।।

बिना    विचारे जो करे ,आज नहीं पछताय।
गलत काम करके हमें ,ज्ञान रहा समझाय।।

अग र तुम्हें अच्छे लगें, रखो न अपने पास?
उन्हें भेजकर अन्य को, बना रहे इतिहास??

चित्र  आपका  आपको , बड़ी जरूरत मित्र ।
मात्र    मिटाने के लिए , भेज रहे हो  चित्र ??

💐शुभमस्तु !

09.03.2020 ◆7.00 अप.

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