◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●
✍ शब्दकार©
🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●
गली-गली डाक्टर यहाँ, वह भी पूर्ण निशुल्क।
कोरोना ने कर दिया , डाक्टर पूरा मुल्क।।
क्लिनिक पर बैठे हुए , लेते मोटा शुल्क।
कोरोना - बम का धुआँ , फैला सारे मुल्क।।
पूर्ण शुद्धता का सबक ,लेकर आया आज।
कोरोना कह ते जिसे , रोगों का सरताज।।
बार - बार धो हाथ निज, रहो दूर ही दूर।
हाथ जोड़कर नमन हो, स्वस्थ देह भरपूर।।
आलिंगन, चुम्बन सभी, बंद करो तत्काल।
बात करें तो दूर से, करो न वृथा सवाल।।
शैया जब छोड़ो सुबह, लहसुन पोती चार।
उष्ण नीर के साथ में,खाओ बिना विचार।।
चुटकी भर सेंधा नमक, उष्ण नीर में डाल।
करो गरारे नित सुबह, हो निरोग तत्काल।।
स्वछ वसनपट बाँध मुँह, निकलें घर के द्वार।
घुसे न 'बेरस' देह में, रुके रोग संचार।।
धन्यवाद उनको कहें,जो सेवा - संलग्न।
जीवन - रक्षा कर रहे, कर्तव्यों में मग्न।।
मत समझें उपहास की, बात बड़ी गंभीर।
कोरोना से बच गए , तभी धरेंगे धीर।।
बट्टी एक कपूर की, लेकर प्रातः शाम।
नित्य जलाएँ प्रेम से, मित्रो अपने धाम।।
कीट, विषों के अणु सभी, हो जाते हैं दूर।
जलता है जिसके भवन,नित्यं सेत कपूर।।
प्राणों के आयाम को, कहते प्राणायाम।
कर लें तो उत्तम बहुत,मित्रो सुबहो-शाम।।
नाड़ीशोधन,शीतली, शुभ अनुलोम विलोम।
कपालभाती, भस्त्रिका ,शुद्ध करें तनव्योम।।
क्वाथ - अमृता पान कर,करें ईश का ध्यान।
स्वस्थ देह मन सब करें,इच्छा शक्ति महान।।
💐 शुभमस्तु!
20.03.2020 ◆3.45अप.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें