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✍ शब्दकार ©
🙉 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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किस किस को क्या समझाना है!
वह बनता सबका नाना है।।
आदमी यहाँ का अति ज्ञानी।
बहरा बनने की है ठानी।।
बहरों को बिगुल सुनाना है ?
किस किस को क्या समझाना है!!
सुन ले तो नहीं मानता है।
यद्यपि वह नहीं जानता है।।
सुन इधर , उधर कर जाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
जो पढ़े नहीं सुल्तान बड़े।
ज्ञानी को डंडा तान खड़े।।
प्रभु इनसे हमें बचाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
जो पढ़े - लिखे वे गुने नहीं।
वे बात किसी की सुनें नहीं।।
यों देश गर्त में जाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
सबकी चलती मनमानी है।
ज्ञानी बस कुतिया कानी है।।
उसको इंग्लैंड सिधाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
हर शाख पै उल्लू बैठा है।
टाँगें पसार कर लेटा है।।
कैसे अब उसे उठाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
ईमान रहित अधिकारी हैं।
वे धन के निपट पुजारी हैं।।
अवसर ही सदा भुनाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
सबके सिर ऊपर नेता है।
मीठे आश्वासन देता है।।
मकड़ी का ताना - बाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
तब तंत्र सयानों के चलते।
अब मंत्र अयानों के छलते।।
जनता को चुसते जाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
चमचे ही दाल गलाते हैं।
ताजा शिका र नित लाते हैं।।
नेता को माल उड़ाना है।
किस किसको क्या समझाना है!!
जनता की कोई सुने नहीं।
क्या करे अगर सिर धुने नहीं।
ऐसा ही 'शुभम' जमाना है।
किस किस को क्या समझाना है!!
💐 शुभमस्तु !
22.03.2020 ●6.45 अपराह्न।
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