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💐 शब्दकार©
🌐 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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इंसां को सिखाने आई।
कुदरत कुछ दिखाने आई।।
तू पानी का बुलबुला है,
ये सबको बताने आई।
तोड़ा है दम्भ बल का ,
गुमाँ तेरा मिटाने आई।
मज़हब की दीवार हैं जो,
पल में हटाने आई।
मुँह बंद कर ले अपना,
यह भी जताने आई।
कोरोना तो है बहाना,
स्वच्छता सुझाने आई।
गलबाँहीँ 'शुभम' है झूठी ,
दो कर जुड़ाने आई।
💐 शुभमस्तु !
24.03.2020 ◆5.30 अपराह्न।
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