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✍ शब्दकार ©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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कोरोना का कहर बड़ा भारी है।
जगत में व्याप्त महामारी है।।
बचाव ही इलाज़ वायरस का ,
दूसरों को सीख मगर जारी है।
पीछे पड़ गया है हाथ धोकर,
हाथ धोने का तार तारी है।
डरा हुआ हर शख्स मरने से,
कौन जानेगा किसकी बारी है।
संग अवधान के चलना, जीना,
इस इंसान ने न जंग हारी है।
सिखाने चल पड़ी सबक इंसां को,
बाकी कुदरत की बड़ी उधारी है।
बहुत जंगल उजाड़े,प्रकृति से खेले
'शुभम ' अब टूटने लगी ख़ुमारी है।
💐 शुभमस्तु !
20.03.2020 ◆9.00 अप.
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