गुरुवार, 26 मार्च 2020

कोरोना निवारण सीख [ सवैया ]


◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★
✍ शब्दकार ©
🙊 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★
 आँधी         सौ  छाय गयौ सिगरे जग,
कोरोना    तोय  जु   लाज   न आवै।
जन    मानस   कूँ  तु    सताय रह्यौ,
बिनआँखिन    के हमें आँखि दिखावै।।
हाथ       न     पायँ     न   पंख   तिरे,
इतते         उतकूँ     तू   दौड़  लगावै।
का        हम    तेरौ     बिगारि   दियौ,
रहि   दूरि   ही दूरि न  गाज गिरावै।।1।

हर      एक   बुरे   में   भलौ  ही छिपौ,
पहचानि     सकौ    पहचानि  न  लेहू।
तन     स्वच्छ      रखौ    घर - बार सही,
तन   से    तन  कौ  जनि  कीजै सनेहू।।
कर     जोरि     करौ    बन्दन सिगरे ,
मति     चूमि   न  बाँह में  बाँधि  रे केहू।
डारि      कें       नोंन    जौ  पोंछा करौ,
घर   आय न   ऊर्जा  बुरी  तव गेहू।।2।

विष     के    अणु   बोइ   दए जग में,
अँगना       तिनके       दैया   -  दैया।
जे     हानि       वुहान   भरी   इतनी,
उन     देशन  कूँ   न   मिली    छैया।।
सब       दोष        मिटाइ   रहीं   दुर्गे,
कर       जोरि       करें     मैया   मैया।
नित       होम     कौ धूम  पवित्र बड़ौ,
वु   ही    पार    करें  अपनी   नैया।।3

यहि       धर्म - धरा  निज भारत है,
अध्यातम      कौ   उजियार  भरौ है।
करुणा     ममता   अहिंसा  कौ धामु,
उर   सें   उर   कौ अति प्यार धरौ है।।
सब      स्वस्थ      रहें    नीरोग  रहें,
हमनें    सबकौ   नित चाहौ भलौ है।
कोरोना      बिचारौ      करैगौ कहा ,
जस    आयौ  तैसेंई जाय चलौ है।।4।

इत     कालु      बुरौ     आवै  जबहीं,
धरि    धीरजु     एक    रहौ    सिगरे।
इच्छा   -  बल      कूँ  मजबूत रखौ,
कोऊ        काज    नहीं  कबहूँ बिगरे।
मति     छोट      कभूं   समझौ बैरी,
जर -  मूल    ते   नास  करौ मिलिरे।
'शुभ'     नेंकसी     बात   बताय रहौ,
सिग    वायरस    बेगि    मरें बिखरे।5।

💐 शुभमस्तु !

21.03.2020 ◆2.15अप.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...