मंगलवार, 31 मार्च 2020

माँ का वंदन [कुण्डलिया]


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✍शब्दकार ©
🛕 डॉ.भगवत  स्वरूप 'शुभम'
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  1
माँ   दुर्गा पर आस्था,माँ  का  ही विश्वास।
चरणों     में वंदन  करूँ,माता की ही आस।।
माता   की ही आस,वास  हो मेरी  रसना।
साँस-साँस में वास,त्रिकुटि में मेरी बसना।।
'शुभम'    एक ही टेक,चाह  माते!अपवर्गा।
धरूँ   धारण   ध्यान,भवानी  हे माँ   दुर्गा।।

2
माता के दरबार में ,   खड़ा हुआ कर जोड़।
देखे    जीवन     में  बड़े , टेढ़े - मेढ़े  मोड़।।
टेढ़े - मेढ़े   मोड़, राह   दिखला   दो  मैया।
काँटों    की  है  राह ,कर   रहा  दैया दैया।।
'शुभम'  दूर कर ताप,द्वार   तेरे जो  आता।
होता    नहीं निराश,  राह दिख लाती माता।।

 3
माँ   देवी   के   रूप में,कृपा  करो माँ  आप।
सुख     समृद्धि वर्षा करो,हरो दुःख संताप।।
हरो    दुःख संताप, ध्यान  में माते  आओ।
तीन तरह के ताप, पलों में शीघ्र मिटाओ।।
'शुभम'   समर्पि  त भाव,हृदय के तेरा सेवी।
 करता   लेकर चाव, चरण   युग हे माँ देवी।।

 4
तू अमोघ फलदायिनी,गौरी शक्ति स्वरूप।
कुंद  पुष्प सम  रूप रँग,वसनाभूषण यूप।।
वसनाभूषण       यूप , महा   गौरी माँ मेरी।
करते  आरति  गान,  प्रात  संध्या को तेरी।।
'शुभम'     कृपा का दान,न पाए कोरोना छू।
स्वस्थ    रहे  परिवार,   हमारी  माँ गौरी  तू।।
  5
देवी  की  पाकर कृपा,शिव   का बदला रूप।
आधे  नारीश्वर  बने,  पा   ली सिद्धि  अनूप।
पा   ली   सिद्धि  अनूप,देव  तव वंदन करते।
नभ  से  बरसें  फूल,  मानवी विपदा  हरते।।
'शुभम' मिले नर यौनि, रहे माँ का पदसेवी।
प्रतिपल      रहा    पुकार,  शारदे दुर्गा  देवी।।

💐 शुभमस्तु !

31.03.2020 ◆3.30 अप.

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