सोमवार, 30 मार्च 2020

शिक्षक बन समझाते हैं [ गीत ]


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✍ शब्दकार ©
🏕️ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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छाई       कोरोना  -   रातें    हैं।
सब शिक्षक बन समझाते हैं।।

साबुन  से  हाथ  सभी  धोना।
हो  शुद्ध स्वच्छ घर का कोना।
दस - बीस नियम बतलाते हैं।
सब शिक्षक बन समझाते हैं।।

मत घर  से बाहर  तुम  जाना।
एकांतवास     ही    अपनाना।।
सड़कों     पर  चित्र खिंचाते   हैं।
सब   शिक्षक  बन समझाते हैं।

कहते    हैं   मास्क  लगाना  है।
मीटर  की    दूरी    पाना  है।।
निज   मास्क हटा सिखलाते हैं।
सब   शिक्षक   बन समझाते हैं।।

खिड़की  द्वारों  से  झाँक  रहे।
सड़कों   पर बाहर  ताक  रहे।।
सेल्फ़ी     लेकर   मुस्काते  हैं।
सब  शिक्षक बन समझाते हैं।।

मजदूरों      की    लाचारी    है।
निर्धनता     ही    बीमारी    है।।
कोरोना   - भय  दिखलाते हैं।
सब    शिक्षक बन समझाते हैं।।

मजबूर   पुलिस  को  करते हैं।
बेशर्मी    का   दम   भरते  हैं।।
फाकों   पर  घर जतलाते   हैं।
सब   शिक्षक बन समझाते हैं।।

स्टॉक     घरों   में    कर  लेते।
'सत  पात्र' बने  घर भर  लेते।।
वे   'शुभम'    नहीं   शरमाते हैं।
सब   शिक्षक   बन समझाते हैं।।

💐 शुभमस्तु !

30.03.2020◆4.45 अपराह्न।

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