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✍शब्दकार ©
🦋 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम
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झाड़ू लेकर हाथ में,
घूम रहा संसार।
चेत ! चेत !! ओ चेत!!! नर,
कर देता पतझार।।
कर देता पतझार ,
राह में मानव आता।
खाँसी तेज बुखार ,
यहीं से पर फैलाता।।
'शुभम' सत्य संदेश,
समय निज घर को देकर।
कोरोना तैयार ,
चला है झाड़ू लेकर।।1।।
कोरोना दिखता नहीं,
रंग न कोई गंध।
अपनी रक्षा आप ही ,
करें आत्म प्रतिबंध।।
करें आत्म प्रतिबंध,
सभी अपनी घरबंदी।
पढ़ें स्वच्छता पाठ,
दूर करके छलछन्दी।।
'शुभम' स्वच्छ हों हाथ,
बीज मत कड़वे बोना।
नहीं करेगा माफ़,
अगर आया कोरोना।।2।।
तोड़ा जिसने नियम को,
या तोड़ा क़ानून।
नहीं ईश रक्षा करें ,
हो जाए घर सून।।
हो जाए घर सून,
क्षमा का काम न कोई ।
मनमानी नर छोड़ ,
नहीं धन धाम रसोई।।
'शुभम' चेत जा आज,
उसी ने जीवन छोड़ा।
रहे अहं में चूर,
निजी अनुशासन तोड़ा।।3।।
बिल्ली चूहे से कहे ,
बिल में अपने बैठ।
उछल - कूद ज़्यादा करे,
निकल जायगी ऐंठ।।
निकल जायगी ऐंठ ,
सेठ मत बन ले हल्दी।
मैं तो दूँगी छोड़ ,
स्वर्ग पहुँचेगा जल्दी।।
'शुभम' बना ले छेद ,
आगरा से तू दिल्ली।
बिल के अंदर बैठ ,
कहे चूहे से बिल्ली।।4।।
त्यागा बिल्ली ने सहज ,
चूहे जी से बैर।
पकड़ - पकड़ बिल में रखे,
मना रही है खैर।।
मना रही है खैर,
समझकर अपना बच्चा।
दिखा रही निज नेह,
आज देखो ये सच्चा।।
'शुभम' किंतु जड़ मूस,
बिलों से निकला भागा।
बिल्ली ने पर दंड,
शूल चूहे पर त्यागा।।5।।
💐 शुभमस्तु !
२५.०३.२०२०◆७.००अपराह्न।
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