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✍शब्दकार©
🏡 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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घरबंदी आज कर ली।
आधी बीमारी हर ली।।
सब एक घाट आए।
एक नाव बैठ पाए।।
वैतरणी पार कर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
अब जान की पड़ी है।
ऐसी बुरी घड़ी है।।
दुश्मनी सरक उधर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
देते उसे न गाली।
जिसकी है गंदी नाली।।
बदबू से यारी कर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
फिर आ गई है होली।
निकले न कड़वी बोली।।
एक रंग दुनिया कर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
चुपचाप हैं विरोधी।
सत्ता के छिद्रशोधी।।
निज जीभ मुँह में धर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
दलदल नहीं है दल का।
भाता सुमन कमल का।।
दानवता भी सुधर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
बच पाएँगीं जो जानें।
अपनी कमानें तानें।।
अब तक बहुत बिखर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
गौ - शेर मिल रहे हैं।
पी घाट जल रहे हैं।।
कस 'शुभम' निज कमर ली।
घरबंदी आज कर ली।।
💐 शुभमस्तु !
22.03.2020 ◆ 3.45 अपराह्न।
💐 भारतीय 'घरबंदी दिवस'
की हार्दिक शुभकामनाएं।💐
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