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✍ शब्दकार ©
👧🏻 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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महिला दिवस पर विशेष
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नारियों को आदमी छिन- छिन सजाते हैं।
वे कभी हमको निरी कमसिन बताते हैं।।
आदमी ने जिसको भी कमजोर समझा है,
वर्ष में उसका वे दिन भी मनाते हैं।
है नहीं शिक्षक की कोई मान- मर्यादा,
नाक पर मच्छर भी उनके भिनभिनाते हैं।
मजदूर को इस आदमी ने इंसाँ नहीं समझा,
अश्व जैसे अस्तबल में हिनहिनाते हैं।
नारियों के पैर में वे बाँध कर पायल,
एक दिन महिला का दिन,दिन भर मनाते हैं।
रूप पर मेरे सदा मरता रहा भँवरा,
होता अँधेरा रात का वे फन फुलाते हैं।
सजाकर क्रीम गोबर पर 'शुभम' इंसां,
हमारी खूबियाँ वे दिन- दिन भर गिनाते हैं।
💐 शुभमस्तु !
08.03.2020 ◆3.30 अप
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