रविवार, 31 जुलाई 2022

देश का ऊँचा तिरंगा🇮🇳 [ गीतिका ]

  

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✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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देश   का   ऊँचा   तिरंगा  शान  मेरी।

राष्ट्र  का  गुणगान  ही पहचान  मेरी।।


देश  की  बोली  सु -हिंदी बोलता   मैं,

नीड़   मेरा  धाम   पावन  छान   मेरी।


नित्य   गंगा,  गोमती, यमुना सदा  से,

दे   रहीं  जीवन   निरंतर  आन    मेरी।


अन्न  माँ का  खा  रहे पी विमल  पानी,

धान्य   का  भंडार  धन की खान  मेरी।


लोट  कर जिस धूल में जीवन जिया है,

गीत , कविता  की  विलोलित तान मेरी।


देशवासी   आइए   हम   एक हों   सब,

है    यही    अस्तित्व    सारा त्रान   मेरी।


किस तरह आभार मैं इसका करूँ नित,

देश   भारत  है 'शुभम्'   की जान मेरी।


✍️ शुभमस्तु!


३१.०७.२०२२◆४.००पतन म मार्तण्डस्य।

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