रविवार, 7 जुलाई 2019

पौधे लगाओ: फ़ोटो खिंचाओ [व्यंग्य]

   मित्रो! और मित्रनिओ ! नेताओ ! और नेत्रियो! अब  वह वांछित मौसम आ गया है, जिसकी प्रतीक्षा एक बरस से की जाती है। यह बरसात का मौसम है, जो एक बरस में एक ही बार आता है, इसीलिये 'बरसात' कहलाता है।बरस + आत = 'बरसात'। इसके लिए प्यासे पपीहे की तरह लगभग सभी को  प्रतीक्षा रहती है। लगभग इसलिए कहा कि सबको नहीं रहती। कुछ ऐसे भी जीव हैं , जिन्हें बारहों मास सूखा पसंद है।
   हाँ, तो मैं कह रहा था कि चिर परिचित चिर प्रतीक्षित और बरसात का मौसम अंततः आ ही गया। वास्तव में ये मौसम दो महीने से  प्यासी और भयंकर रूप से तप रही धरती के लिए वरदान से कम नहीं है। इसमें आप माननीयों को भीगी-भीगी धरती में  छोटे -बड़े पौधे रोपण करने की प्रतीक्षा रहती है।
   कहा जाता है कि पेड़ पौधे ज़्यादा होने पर वर्षा ज़्यादा होती है।पर एक बात हमारी समझ में अभी तक नहीं आई कि आप लोग सड़कें बंनाने के लिए पेड़ लगवाते तो ज़्यादा हो। पर लगाते कम ही हो। जब कटवाते हो तो फोटो  क्यों नहीं खिचवाते और अखबारों टीवी पर क्यों नहीं दिखाते , बताते कि आपने इतने वृक्षों का विनाश किया।आपको यह भी मालूम तो होगा ही कि एक पेड़ 10 -20 -25 साल में तैयार होता है औऱ आप उसे कुछ ही मिनट -घण्टों में उसे धराशाई कर उसकी हत्या कर देते हों। इसके विपरीत आप एक छोटा सा पौधा लगाकर मुस्कराते हुए फ़ोटो खिंचवाते हो, अख़बार में छपवाते हो, और टी वी पर देख देखकर सिहाते हो। गर्व से सीना गुब्बारे  की तरह फूल जाता है आपका। लेकिन पौधा लगाने के बाद कभी अपनी चार पहिए की बड़ी सी ए सी गाड़ी को रास्ते चलते रोक कर देखा भाला है कि जो पौधा आपने मुस्कराते हुए  फ़ोटो खिंचवाते हुए लगाया था, वह रो रहा है अपने कर्म पर या हँस रहा है आपके धर्म पर। उस स्व रोपित पौधे में कभी पानी लगाने , निराने ,
गोड़ने, खाद देने की बात भी कभी आपके मष्तिष्क में आई? केवल फ़ोटो खिंचा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री  कर ली। जब आपने उसे लगाया है , तो देखभाल का जिम्मा भी आपका ही बनता है। किसी अन्य का नहीं।
   आपके नाम के आगे जनता मननीय शब्द जोड़कर आपका सम्मान करती है। लेकिन क्या आपने अपने उस 'माननीयत्व ' की रक्षा करने की बात सोची? ये कोरा  'माननीयत्व' किसी को  स्वीकार्य नहीं है।
   आपने अपने भाषणों में बहुत पौधारोपण किया है। क्या आज तक आपके भाषणों , अखबारों और टी वी पर लगाये गए पेड़ों में फ़ल आये हैं? नहीं न? फिर इस प्रकार कोरे दिखावे के लिए पेड़ रोपने का औचित्य ही क्या है?  क्या आपका यही व्यक्तित्व देश की जनता के लिए प्रेरणा देने वाला सिद्ध हो सकता है ?कदापि नहीं।
  प्रतिवर्ष करोड़ों पेड़ नेताओं औऱ अधिकारियों के  द्वारा और उनके ही माध्यम से देश में रोपे जाते हैं।यदि
आपने उन पेड़ों की देखभाल की होती तो भविष्य में आपको पौधे लगाने के लिए जमीन ढूंढें नहीं मिलती। पेड़ न लगे , इसमें भी आपका बड़ा फ़ायदा है। काश  वे सभी पेड़ पनप गए होते ,तो आने वाली नेताओं और अधिकारियों की पीढ़ी के लिए  करने के लिए कुछ भी नहीं बचता। तब आप क्या करते? इसलिए खुश हो लीजिए कि विगत माननीयों के कर कमलों द्वारा रोपे गए पौधे मर गए! सरकारी पैसा है , भला आपकी  तिजोरी से क्या चला जाता ? इसलिए हर साल पौधे रोपो, फोटो  खिंचाओ, मुस्कराओ, ख़बर सहित फ़ोटो बनवाओ, टीवी पर झिलमिलाओ और कर्तव्य की इतिश्री।

💐शुभमस्तु!
✍लेखक ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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