जब भी खुलें हमारे होठ।
चुम्बन कहें हमारे होठ।।
दिल की प्यास बुझाने को
मधु में सनें हमारे होठ।।
दिखे तबस्सुम झूठी सी।
ग़म को कहें हमारे होठ ।।
बोल न पाये मौक़े पर,
पत्थर बने हमारे होठ।।
लाल बनाया क़ुदरत ने,
महके फिरें हमारे होठ।।
शहदीले लब देखे तो
पागल बनें हमारे होठ ।।
'शुभम' छलकते प्याले - से,
छल-छल रिसें हमारे होठ।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता
💑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
चुम्बन कहें हमारे होठ।।
दिल की प्यास बुझाने को
मधु में सनें हमारे होठ।।
दिखे तबस्सुम झूठी सी।
ग़म को कहें हमारे होठ ।।
बोल न पाये मौक़े पर,
पत्थर बने हमारे होठ।।
लाल बनाया क़ुदरत ने,
महके फिरें हमारे होठ।।
शहदीले लब देखे तो
पागल बनें हमारे होठ ।।
'शुभम' छलकते प्याले - से,
छल-छल रिसें हमारे होठ।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता
💑 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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