तुलसी बिरवा रोपिये,
जो चाहो सुख - शांति।
औषधीय गुण खान यह,
तनिक नहीं है भ्रांति।।1।
सर्दी और ज़ुकाम में,
खाँसी में उपयोग।
श्वास - रोग तुलसी हरे,
करे देह नीरोग।।2।
पूजनीय तुलसी सदा,
बिरवा रोपो गेह।
वायु शुद्ध घर की करे,
बढ़े परस्पर नेह।।3।
तुलसी माला कर गहो,
फेरो सुबहो - शाम।
ग्रीवा में धारण करो,
शांति मिले उर धाम।।4।
श्वसन-क्रिया को खोलता,
वाणी का अवरोध।
अंत समय रस डालते-
तुलसी नहीं विरोध।।5।।
वात रोग मूर्छा वमन ,
कफ की औषधि मित्र।
वन तुलसी हरती जलन,
औषधि एक विचित्र।।6।
पथरी में अति लाभकर,
मूत्र निस्सारक होय।
सुख से प्रसव करा सके-
तुलसी सुख से सोय।।7।
यूगेनल थयमोल सम,
उड़नशील बहु तेल।
वन तुलसी के घटक हैं,
देते शांति सुमेल।।8।
श्यामा तुलसी ज्वर हरे,
करे दूर पित रोग।
रक्तदोष कफ़ कोढ़ भी,
नहीं करें तन -भोग।।9।
मलेरिया क्षयरोग के,
मरते सब कीटाणु।
तुलसी की सद्गन्ध ही,
हरती हर रोगाणु।।10।
हिचकी पसली -दाह में,
तुलसी का उपयोग।
नेत्रज्योति में वृद्धि दे,
हरे पित्त के रोग।।11।
काया में थिरता भरे,
'कायस्था' है नाम।
तुलसी तीव्र प्रभावमय,
' तीव्रा' नाम सुनाम।12।
देवगुणों का वास है,
'देव दुंदुभी' नाम।
दैत्य - रोग संहारती,
'दैत्यघि' 'शुभम' सुनाम।13।
मन वाणी औ' कर्म से,
करती सदा पवित्र।
नाम 'पावनी' है शुभम,
'सरला ' भी यह मित्र।।14
नारी के यौनांग को ,
करती निर्मल पुष्ट।
'सुभगा' तुलसी नाम है,
है घर - घर की इष्ट।।15।
निज लालारस से करे,
सारी ग्रंथि सचेत।
'सुरसा' कहलाती शुभम,
तुलसी मानव हेत।।16।
देह गेह पल्लव करें ,
पावन जहाँ निवास।
'पूतपत्री' भी नाम है,
तुलसी 'शुभम ' सुवास।।17।
तुलसी सेवन जब करें,
दूध न लेना पान।
चर्म - रोग गर्मी बढ़े,
बात 'शुभम ' की मान।।18।
तुलसी-दल शिवलिंग पर,
नहीं चढ़ाना मीत।
ग्रंथों में ऐसा लिखा ,
यही पुरानी रीत।।19।
तुलसी शोभा गेह की,
पावन करती देह।
सद सुगंध व्यापित करे,
बढ़े शांति उर गेह।।20।
तुलसी पौधा रोपिये,
पावन दिन गुरुवार।
विष्णु -प्रिया कहते इसे,
कार्तिक'शुभम'विचार।।21।
तुलसी पौधा रोपिये,
पावन दिन गुरुवार।
विष्णु -प्रिया कहते इसे,
कार्तिक'शुभम'विचार।।21।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌱 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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