गुरुवार, 4 जुलाई 2019

रोटी ही सत्य है [अतुकान्तिका]

रोटी,
जी हाँ, रोटी,
गोल - गोल सफ़ेद रोटी,
जीने के लिए जरूरी,
बता सकता है कोई 
रोटी का स्वाद ?
कर सका है कोई 
रोटी का अनुवाद?
रोटी सिर्फ़ रोटी है
ब्रेड नहीं,
लगाने के लिए अँगूठा,
बैंजनी पेड नहीं ।

रोटी न मीठी है,
कड़वी खट्टी कसैली भी नहीं
नमकीन तीखी भी नहीं,
नहीं जान पाई
रोटी का स्वाद रसना!
युग -युग से 
खाते चले आए,
खिलाते चले आए,
बनाते चले  आए,
कमाते चले आए,
पर रोटी का
नहीं जाना,
जानता है सिर्फ़ उदर,
गोल रोटी की क़दर,
रोटी का असली स्वाद,
क्योंकि उसी से 
करता है देह औऱ
अंगों को आबाद।

रोटी है 
उदर की अनिवार्यता,
भूख की अपरिहार्यता,
एक मौन गुहार,
उदर का आहार,
मानव मात्र के लिए
गोल -गोल रोटी का
बार - बार आभार,
जीवन औऱ प्राण का
सहस्रशः आभार,
प्रकृति -प्रदत्त
गोलाकार उपहार।

रोटी के लिए ही
व्यवसाय नौकरी,
डकैती ग़बन चोरी,
राहजनी वैध -अवैध काम,
लगा रहता मनुज
व्यस्त सुबह से शाम
सुषुप्ति में स्वप्न में
 बस रोटी का ही नाम।

राम नाम सत्य है
लेकिन उससे  भी पहले
गोल रोटी सत्य है,
मात्र रोटी ही सत्य है।

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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