गुरुवार, 25 जुलाई 2019

वर्षा आई खुशियाँ लाई [ वर्षा गीत ]

घोर  घटा  अम्बर में छाई।
वर्षा  आई  खुशियाँ लाई।।

बादल    गरजे   नाचे  मोर।
टर - टर  करते दादुर शोर।।
भीगी - भीगी  शीतल भोर।
बिजली चमके  तड़पे जोर।।
हवा चली   ठंडी  सुखदाई।
वर्षा आई ....

आम्र -बाग़ में सखियाँ झूलें।
पेंग बढ़ा अम्बर   को  छूलें।।
पानी  में   बन   रहे    बबूले।
नाव  चलाना    कैसे   भूलें!!
कागज़ निर्मित नाव चलाई।
वर्षा आई ....

ज्यों ज्यों गिरता नभ से पानी।
सुलगे विरहिन भरी जवानी।।
साजन की जब याद  सताए।
मन मसोस रह-रह पछताए।।
आँसू   गिरते    नहीं   सहाई।
वर्षा आई ....

कर   सोलह  शृंगार  नवेली।
पिया न घर में नारि अकेली।।
ज्यों स्वाती को चातक तरसे।
बंद सीप में क्यों जल बरसे??
बहुत   सताए    ये  तनहाई।
वर्षा आई ...

कजरी गीत  मल्हारें  गातीं।
महुआ आम जामुनें खातीं।।
पनघट  बगिया राह अटारी।
बतरस की बहती नित धारी।।
 साड़ी चोली   ख़ूब भिगाई।
वर्षा आई....

पावस की सब करें प्रतीक्षा।
नहीं शीत   गर्मी की इच्छा।।
अम्बर में जब  छाते बादल।
मानव उर में होती हलचल।।
सिंधु मिलन को सरिता धाई।
वर्षा आई ....

प्यास   बुझी  धरती की सारी।
हरी  शाटिका  तन पर  धारी।।
अंकुर    नए    उगे   हैं   सुंदर।
वरुण  देवता खुश   हैं  इंदर।।
वृक्ष   लताएँ   भी   मुस्काई।।
वर्षा आई ....

💐 शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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